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Namaste. I, Dr. Srimanta Bhadra, Head & Assistant Professor, PG Department of Sanskrit, Raja Narendra Lal Khan Women's College (Autonomous), will share various study materials here related to Sanskrit language, literature and scripture especially Sanskrit Grammar. Let me know your feedback in the comments. It will encourage me and do not forget to comment your favourite topics which you want to read in future.
अवनितलं पुनरवतीर्णा स्यात् संस्कृतगङ्गाधारा
Thanks & Regards
Dr. Srimanta Bhadra

Tuesday, March 8, 2022

Introduction to Sanskrit Rhetoric

 Introduction to Sanskrit Rhetoric

IntroductiontoSanskritRhetoric


अलङ्कारशास्त्रपरिचयः

प्रशस्तिः

·        उपकारकत्वाद् अलङ्कारः सप्तमम् अङ्गम् इति यायावरीयः

·        पञ्चमी साहित्यविद्या इति यायावरीयः

अलङ्कारपदनिरुक्तिः

      अलङ्कृतिः अलङ्कारः सौन्दर्यपरः। सूत्रितं हि वामनाचार्येण– ‘काव्यं ग्राह्यम् अलङ्कारात्’, ‘सौन्दर्यम् अलङ्कारः’ इति।

अलङ्कारशास्त्राणि तेषां प्रणेतारः च


      भरतमुनिः – नाट्यशास्त्रम्

      भामहः – काव्यालङ्कारः

      दण्डी – काव्यादर्शः

      वामनः – काव्यालङ्कारसूत्रवृत्तिः

      आनन्दवर्धनः – ध्वन्यालोकः

      कुन्तकः – वक्रोक्तिजीवितम्

      क्षेमेन्द्रः - औचित्यविचारचर्चा

      मम्मटः – काव्यप्रकाशः

      विश्वनाथः – साहित्यदर्पणः

      जगन्नाथः - रसगङ्गाधरः


अलङ्कारशास्त्रस्य सम्प्रदायाः

१.     भरतमुनेः रससम्प्रदायः

२.     भामहाचार्यस्य अलङ्कारसम्प्रदायः

३.     वामनाचार्यस्य रीतिसम्प्रदायः

४.     कुन्तकस्य वक्रोक्तिसम्प्रदायः

५.     आनन्दवर्धनस्य ध्वनिसम्प्रदायः

६.     क्षेमेन्द्रस्य औचित्यसम्प्रदायः


Introduction to Sahityadarpan


Kavyaprakash - Chapter 01

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